महाकुंभ 2025: संगम में डुबकी के बाद इन 3 मंदिरों के दर्शन न करना, यात्रा को बनाएगा अधूरा! जानें इनका इतिहास!
धर्म और आस्था की नगरी प्रयागराज में महाकुंभ का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। 13 जनवरी से शुरू होने वाले इस मेले की तैयारियों में मेला प्रशासन जुटा हुआ है। संगम तट पर डुबकी लगाने के बाद, यहाँ के 3 प्राचीन मंदिरों के दर्शन करना न भूलें। आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में:
1. पातालपुरी मंदिर
- स्थान: संगम तट के किनारे
- विशेषता: जमीन के नीचे स्थित, यहाँ स्वर्ग और नर्क की मान्यता है।
- इतिहास: त्रेता युग में माता सीता ने यहाँ कंगन दान किए थे।
2. नागवासुकी मंदिर
- स्थान: दारागंज के उत्तरी कोने में
- विशेषता: नागों के राजा वासुकी नाग की पूजा होती है।
- इतिहास: औरंगजेब द्वारा तोड़े जाने से बचा, यहाँ दूध की धार निकलने की घटना हुई थी।
3. अक्षय वट और सरस्वती कूप
- विशेषता: अक्षय वट का वृक्ष कभी नाश नहीं होता।
- इतिहास: भगवान श्री राम और माता सीता ने यहाँ विश्राम किया था। सरस्वती कूप मोक्ष का स्थान माना जाता है।
इन मंदिरों के दर्शन के बिना महाकुंभ की यात्रा अधूरी मानी जाती है।