आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: समलैंगिक जोड़े के अधिकारों की रक्षा
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए समलैंगिक जोड़े को एक साथ रहने का अधिकार दिया है। जस्टिस आर रघुनंदन राव और जस्टिस के महेश्वर राव की बेंच ने इस मामले में कविता (बदला हुआ नाम) की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उसने अपनी साथी ललिता (बदला हुआ नाम) की हिरासत को चुनौती दी थी।
मामला:
- समलैंगिक जोड़े का अधिकार: कोर्ट ने कहा कि ललिता बालिग है और अपने निर्णय स्वयं ले सकती है।
- पिता का हस्तक्षेप: ललिता के पिता ने उसकी इच्छा के विरुद्ध उसे हिरासत में रखा था।
- पुलिस का हस्तक्षेप: कविता की शिकायत पर पुलिस ने ललिता को उसके पिता के घर से मुक्त कराया।
कोर्ट का आदेश:
- माता-पिता को कपल के रिश्ते में हस्तक्षेप न करने का निर्देश।
- ललिता ने अपने माता-पिता के खिलाफ शिकायत वापस लेने की इच्छा जताई है।
यह निर्णय LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और समाज में समलैंगिकता के प्रति सकारात्मक बदलाव को दर्शाता है।