किस खौफ से हिज़बुल्लाह ने छोड़े मोबाइल, पेजर्स से चला रहा था काम, क्या इजरायल है धमाकों के साए में?
लेबनान में हिज़बुल्लाह के पेजर्स पर हमला: क्या इजरायली साइबर वारफेयर ने खोला मौत का नया रास्ता?
17 सितंबर की दोपहर 3:30 बजे लेबनान में एक भयानक घटना घटी, जब हिज़बुल्लाह के हजारों पेजर्स एक साथ फट गए। इस विस्फोट से 2,800 लोग घायल हो गए और 9 लोगों की जान चली गई। यह घटना तब और रहस्यमय हो गई जब सवाल उठने लगे कि हिज़बुल्लाह, जो मोबाइल फोन से बचते हुए पेजर्स का इस्तेमाल कर रहा था, आखिर किस डर से यह कदम उठा रहा था?
पेजर्स का इस्तेमाल क्यों?
हिज़बुल्लाह ने हाल के महीनों में अपने लड़ाकों को मोबाइल फोन के बजाय पेजर्स से लैस कर दिया था। मोबाइल ट्रैकिंग से बचने और इज़रायली निगरानी से खुद को सुरक्षित रखने के लिए पेजर्स को सुरक्षित विकल्प माना गया था। पेजर्स न तो कैमरा रखते हैं और न ही माइक्रोफोन, जिससे बातचीत ट्रैक नहीं की जा सकती थी। ताइवान से आयात किए गए इन पेजर्स ने हिज़बुल्लाह को उम्मीद दी थी कि वे इजरायली साइबर ताकत से बचे रहेंगे, लेकिन इसके बावजूद इतने बड़े विस्फोट कैसे हुए?
इज़रायल पर शक: साइबर वारफेयर का एक और उदाहरण?
इजरायल की साइबर शक्ति का दुनियाभर में डंका बजता है। इससे पहले भी इजरायल ने अपने दुश्मनों को दूर से नियंत्रित साइबर हमलों से निशाना बनाया है। कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस हमले के पीछे इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद और इजरायली सेना का हाथ हो सकता है।
पेजर्स में विस्फोट: क्या ये साइबर हमला था?
सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह हमला मोसाद और इजरायली सेना के एक संयुक्त साइबर ऑपरेशन का परिणाम था। हिज़बुल्लाह ने सीधे तौर पर इजरायल को इसके लिए दोषी ठहराया है, और ईरान ने भी इसे “इजरायली आतंकवाद” का नाम दिया है। इजरायली सेना की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया, लेकिन अतीत में इजरायल की यूनिट 8200 जैसे साइबर विभागों ने इस तरह के ऑपरेशनों को अंजाम दिया है।
इजरायल का साइबर नेटवर्क और स्टक्सनेट जैसे हथियार
इजरायल पहले भी साइबर हथियारों का इस्तेमाल कर अपने दुश्मनों के खिलाफ ऑपरेशन कर चुका है। स्टक्सनेट नामक साइबर हथियार, जिसे अमेरिका और इजरायल ने मिलकर बनाया था, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा, इजरायली कंपनियां दुनियाभर में साइबर सुरक्षा सॉफ़्टवेयर बेचती हैं, जो कई सरकारों को निगरानी और ट्रैकिंग में मदद करती हैं।
अंतरराष्ट्रीय कानून की अनदेखी?
लेबनान में हुए इस अभूतपूर्व हमले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या इजरायल ने अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को तोड़कर यह साइबर हमला किया है? यह बीपर हमला एक नई किस्म की साइबर वॉरफेयर की शुरुआत हो सकती है, जो भविष्य में और भी विनाशकारी साबित हो सकता है।
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