कानूनमनोरंजन

कोर्ट ने शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा को दिए गए बेदखली नोटिस पर ईडी को लगाई फटकार

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को निर्देश दिया कि वह एक बयान जारी करे कि अभिनेता शिल्पा शेट्टी और उनके पति, व्यापारी राज कुंद्रा को भेजे गए बेदखली नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच शेट्टी और कुंद्रा द्वारा बेदखली नोटिस को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

अटैच की गई संपत्तियों में शेट्टी के नाम पर एक जुहू स्थित फ्लैट, पुणे में एक बंगला, और कुंद्रा के नाम पर इक्विटी शेयर शामिल हैं। ईडी ने अपनी जांच महाराष्ट्र पुलिस और दिल्ली पुलिस द्वारा वेरिएबल टेक प्राइवेट लिमिटेड, स्वर्गीय अमित भारद्वाज, अजय भारद्वाज, विवेक भारद्वाज, सिंपी भारद्वाज, महेन्दर भारद्वाज और कई मार्केटिंग एजेंटों के खिलाफ दर्ज की गई कई FIRs के आधार पर शुरू की थी।

अप्रैल में, ईडी के मुंबई जोनल ऑफिस ने मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत शेट्टी और कुंद्रा की 97.79 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्तियों को अटैच किया था।

ईडी का आरोप है कि आरोपी बिटकॉइन फार्मिंग में शामिल थे, जहां उन्होंने 2017 में जनता से 6,600 करोड़ रुपये के बिटकॉइन इकट्ठे किए और झूठा वादा किया कि उन्हें हर महीने 10% का रिटर्न मिलेगा।

कुंद्रा की ओर से वकील प्रशांत पाटिल और स्वप्निल अंबुरे ने तर्क दिया कि संपत्ति को अटैच करने का आदेश निर्धारण प्राधिकरण द्वारा दिया गया था, और उन्हें अपीलीय प्राधिकरण, दिल्ली में जाने के लिए 45 दिन का समय था। हालांकि, एजेंसी ने इस अवधि के समाप्त होने से पहले ही बेदखली नोटिस जारी कर दिया।

वकील पाटिल ने कहा, “हमारे पास चुनौती देने के लिए 45 दिन हैं, लेकिन उन्होंने 10 दिनों के भीतर बेदखली का नोटिस दे दिया। मुझे 19 सितंबर को ईमेल के माध्यम से निर्धारण प्राधिकरण का आदेश मिला और 28 सितंबर को प्रमाणित हार्ड कॉपी प्राप्त हुई। 45 दिन की अवधि 2 नवंबर को समाप्त हो रही है, फिर भी बेदखली का नोटिस भेजा गया।”

ईडी की ओर से वकील सत्य प्रकाश ने कहा कि उन्हें मंगलवार देर रात याचिका मिली थी और निर्देशों के लिए समय चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि शेट्टी और कुंद्रा को हाई कोर्ट के बजाय अपीलीय प्राधिकरण में जाना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्राधिकरण से कोई स्थगन आदेश नहीं आता है तो एजेंसी बेदखली की प्रक्रिया शुरू कर सकती है।

हाई कोर्ट ने पूछा कि ईडी 45 दिनों की वैधानिक अपील की समाप्ति से पहले कैसे बेदखली कर सकती है। 

जस्टिस डेरे ने कहा, “आप अस्थायी अटैचमेंट कर सकते हैं, लेकिन बेदखली के लिए समय तभी दें जब वैधानिक अपील पूरी हो जाए।”

जस्टिस चव्हाण ने जोड़ा, “पावर है, लेकिन उसे मनमाने ढंग से इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। बेदखली नोटिस देने की इतनी जल्दी क्या है?”

बेंच ने बताया कि आमतौर पर बेदखली ट्रायल के बाद होती है, और अभी अटैचमेंट केवल अस्थायी है। कोर्ट ने ईडी को गुरुवार को एक बयान देने का निर्देश दिया।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *