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कौन हैं माँ सिद्धिदात्री? क्यूँ की जाती है नवमी पर माता की पूजा?

माँ दुर्गा के भक्त नवरात्रि के नौवें दिन को महा नवमी के रूप में मनाते हैं। यह शुभ त्योहार के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। यह दिन माँ दुर्गा की भैंसासुर राक्षस महिषासुर पर विजय को दर्शाता है। बंगाली लोग इस दिन को दुर्गा पूजा के चौथे दिन के रूप में मनाते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूप (नवदुर्गा) की पूजा होती है, और नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है। जानिए माँ सिद्धिदात्री कौन हैं, साथ ही नवमी पूजा विधि, आरती, महत्व, शुभ मुहूर्त, मंत्र, भोग और रंग के बारे में।

माँ सिद्धिदात्री का महत्व:

माँ सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि के नौवें दिन की जाती है। हिंदू धर्म के अनुसार, जब संसार की शुरुआत हुई, तो भगवान रुद्र ने आदि-पराशक्ति की पूजा की, जो शक्ति की परम देवी हैं। उनका कोई रूप नहीं था, इसलिए आदि-पराशक्ति ने भगवान शिव के बाएँ भाग से माँ सिद्धिदात्री का रूप धारण किया। तभी से भगवान शिव को अर्ध-नारीश्वर के रूप में जाना गया।

माँ सिद्धिदात्री केतु ग्रह को दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं। देवी अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। माँ के पास आठ प्रकार की सिद्धियाँ हैं – अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व। वह अपने भक्तों से अज्ञान को दूर करती हैं और ज्ञान प्रदान करती हैं। भगवान शिव ने भी अपनी सभी सिद्धियाँ माँ सिद्धिदात्री की कृपा से प्राप्त की थीं।

माँ सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान होती हैं और शेर की सवारी करती हैं। उनके चार हाथ होते हैं – दाएँ हाथ में गदा और सुदर्शन चक्र, और बाएँ हाथ में कमल और शंख होते हैं। उनके आसपास गंधर्व, यक्ष, सिद्ध, और असुर माँ की पूजा करते हैं।

नवमी पूजा विधि, भोग, रंग और समय:

भक्तों को नवमी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर महा स्नान करना चाहिए। नए और साफ कपड़े पहनें, और माँ दुर्गा और माँ सिद्धिदात्री की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएँ। माँ को सफेद वस्त्र पहनाएँ और उन्हें मिठाई, सूखे मेवे, फल और सफेद फूल अर्पित करें। माँ सिद्धिदात्री को रात की रानी का फूल पसंद है।

माँ सिद्धिदात्री को मौसमी फल, पूरी, खीर, चना, नारियल, और हलवा का भोग लगाएँ। माँ की पूजा के साथ-साथ, भक्तों को नवमी पर कन्या पूजन या कंजक भी करना चाहिए, जो इस तिथि का विशेष महत्व रखता है।

नवरात्रि के नौवें दिन का रंग मोर-पंखी हरा है, जो एकता और व्यक्तित्व का प्रतीक है। इस रंग को धारण करने से समृद्धि और नयेपन की गुणों का लाभ मिलता है। 

माँ सिद्धिदात्री पूजा मंत्र, प्रार्थना, स्तुति और स्तोत्र:

1) ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः 

2) सिद्ध गंधर्व यक्षाद्यै रासुरैरमरैरपि  

   सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी  

3) या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता  

   नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः  

4) कंचनाभ शंखचक्रगदापद्मधरा मुखतोज्वला  

   स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते  

   पटांबरा परिधानं नानालंकार भूषितं  

   नलिस्थितं नलनार्क्षि सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते  

   परमांनंदमयी देवी परब्रह्म परमात्मा  

   परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते  

   विश्वकर्त्री, विश्वभर्त्री, विश्वहर्त्री, विश्वप्रियता  

   विश्व वर्चिता, विश्वातीत सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते  

   भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी  

   भवसागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते  

   धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनी  

   मोक्षदायिनी सिद्धिदायिनी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते

 

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