खेल जगत

भारत बनाम न्यूजीलैंड: सरफराज़ खान ने जड़ा पहला टेस्ट शतक, भारत को दी मज़बूत बढ़त  

सरफराज़ खान ने शनिवार को बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच पहले टेस्ट के दौरान अपना पहला अंतरराष्ट्रीय शतक जड़ा। 26 वर्षीय सरफराज ने मात्र 110 गेंदों में यह उपलब्धि हासिल की, जिसमें उन्होंने 13 चौके और 3 शानदार छक्के लगाए।  

सरफराज़ ने शुभमन गिल के गर्दन की अकड़न के कारण टीम में उनकी जगह ली थी और टेस्ट क्रिकेट में सात पारियों के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना प्रभाव छोड़ा। खास बात यह है कि सरफराज ने इस मैच की पहली पारी में शून्य पर आउट होने के बाद यह शतक बनाया। यह उपलब्धि इस कारण भी खास है कि यह भारतीय क्रिकेट के इतिहास में 22वां अवसर है जब किसी खिलाड़ी ने एक ही टेस्ट मैच में शून्य और शतक दोनों बनाए हों।  

भारत की दूसरी पारी में शुरुआती बल्लेबाजों के जल्दी आउट हो जाने के बाद सरफराज ने विराट कोहली के साथ मिलकर तीसरे विकेट के लिए 100 से अधिक रनों की अहम साझेदारी की। उनकी पारी भारत को बढ़त दिलाने में अहम रही, जिससे टीम एक मजबूत स्थिति में पहुंचने की ओर बढ़ी।  

सरफराज़ का घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन बेहतरीन रहा है। इसी महीने की शुरुआत में उन्होंने ईरानी कप में मुंबई के लिए शेष भारत के खिलाफ दोहरा शतक ठोंका था। उनके प्रथम श्रेणी रिकॉर्ड में 15 शतक शामिल हैं, और वह अपने शतक को बड़े स्कोर में बदलने के लिए जाने जाते हैं। वास्तव में, उन्होंने अपने 15 शतकों में से 10 को 150+ स्कोर में बदला है, जिसमें चार दोहरे शतक भी शामिल हैं।  

प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनका औसत 69.56 है, जो सक्रिय क्रिकेटरों में सबसे अधिक है। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रथम श्रेणी स्कोर नाबाद 301 रन है, जो उन्होंने 2019-20 रणजी ट्रॉफी में मुंबई के लिए अपने पूर्व टीम उत्तर प्रदेश के खिलाफ बनाया था, जो उनके बड़े स्कोर की क्षमता को दर्शाता है।

इस साल इंग्लैंड के खिलाफ सरफराज़ के अंतरराष्ट्रीय पदार्पण में उन्होंने राजकोट में लगातार दो अर्धशतक और धर्मशाला में एक और पचासा जड़ा था, जिससे भारत ने श्रृंखला 3-1 से जीती। न्यूज़ीलैंड के खिलाफ उनके टेस्ट शतक ने अब उन्हें भारत की बल्लेबाजी क्रम में एक उभरते हुए सितारे के रूप में स्थापित कर दिया है।  

सरफराज़ खान का प्रदर्शन इस मैच में एक लंबे और सफल करियर की शुरुआत का संकेत देता है। घरेलू क्रिकेट में उनकी निरंतरता अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अहम योगदान में बदल रही है, और आने वाले वर्षों में भारत निश्चित रूप से उन्हें एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में गिनेगा।

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