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23 वर्षीय प्रीति पाल ने पैरालिंपिक में रच दिया इतिहास

भारत की प्रीति पाल ने पैरालंपिक्स में महिला टी35 200 मीटर इवेंट में अपना दूसरा कांस्य पदक जीता, यह उपलब्धि उन्होंने 100 मीटर महिला टी35 इवेंट में 14.21 सेकंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ कांस्य पदक जीतने के दो दिन बाद हासिल की।

23 वर्षीय प्रीति का शुक्रवार को जीता कांस्य पदक पेरिस पैरालंपिक्स में पैरा-एथलेटिक्स में भारत का पहला पदक था। रविवार को उन्होंने 30.01 सेकंड का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय दौड़कर इतिहास में अपना नाम और पक्का कर लिया।

प्रीति ने इतिहास रचते हुए, पैरालंपिक्स या ओलंपिक्स में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला ट्रैक और फील्ड एथलीट बन्ने का सौभाग्य प्राप्त किया।

टी35 श्रेणी उन एथलीटों के लिए निर्धारित की गई है जिनमें हाइपरटोनिया, एटैक्सिया, एथेटोसिस और सेरेब्रल पाल्सी जैसी समन्वय हानि होती है।

एक किसान परिवार में जन्मी प्रीति को जन्म से ही शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनके जन्म के सिर्फ छह दिन बाद ही उनके निचले शरीर पर प्लास्टर चढ़ा दिया गया था, क्योंकि उनके पैर कमजोर थे, जिससे वह विभिन्न बीमारियों की शिकार हो सकती थीं। उन्होंने अपने पैरों को मजबूत करने के लिए कई पारंपरिक उपचार करवाए।

पांच साल की उम्र में उन्होंने कैलिपर पहनना शुरू किया, जिसे उन्होंने आठ साल तक पहना। उनके बचने पर संदेह होने के बावजूद, प्रीति ने हार ना मानकर जीवन की खतरनाक परीस्थितियों को पार करते हुए खुद को साबित किया।

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