कोलकाता रेप और मर्डर केस में अरोपी का हुआ लाई डिटेक्टर टेस्ट
आकृति गौर
के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में मुख्य आरोपी संजय रॉय के अपनी बेगुनाही के दावे के बाद,आरोपी का लाई डिटेक्टर टेस्ट (पॉलीग्राफ टेस्ट) कराया गया।
परीक्षण के दौरान आरोपी ने बताया कि जब उसने अस्पताल के सेमिनार हॉल में प्रवेश किया तो पाया कि पीड़िता पहले ही दम तोड़ चुकीं थी। हालांकि, पॉलीग्राफ ने उनके कई उत्तरों को गलत और असंबद्धित बताया। आरोपी कथित तौर पर बेहद चिंतित और डरा हुआ दिखाई पड़ रहा था क्योंकि सीबीआई अधिकारी मामले में उसकी संलिप्तता के बारे में उससे पूछताछ कर रहे थे। सीबीआई ने कई सबूत दिखाते हुए उससे पूछताछ की, जबकि वह कई बहानो का हवाला देते हुए सबूतों को नकारता रहा। उसने दावा किया कि उसने सेमिनार हॉल पहुंचने पर ट्रेनी डॉक्टर को मृत पाया, और डर और सदमे के कारण, वह घटनास्थल से भाग गया।
सीबीआई ने कहा कि उसके दावे असंगत और भ्रमक प्रतीत होते हैं क्योंकि वह अपने चेहरे की चोटों और घटना के समय परिसर में अपनी उपस्थिति का कोई उचित करण देने में सक्षम नहीं रहा।
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल में ट्रेनी डॉक्टर मृत पाई गईं थी। बाद में ओटोपसी में पता चला कि महिला का क्रूर यौन उत्पीड़न किया गया था और उनके निजी अंगों सहित उनके पूरे शरीर पर 25 चोटें आई थीं।
पुलिस ने रॉय को 9 अगस्त को सुबह 4:03 बजे सीसीटीवी कैमरों में प्रवेश करते हुए पाया। घटनास्थल से एक ब्लूटूथ हेडसेट भी मिला था जो आरोपी के मोबाइल फोन से कनेक्ट हो गया था। संजय रॉय की मनोविश्लेषणात्मक रूपरेखा में कहा गया है कि वह “विकृत और गंभीर रूप से पोर्नोग्राफी के आदी” है। कोलकाता पुलिस के अनुसार, संजय रॉय ने शुरू में बलात्कार और हत्या करने की बात कबूल की थी। हालांकि, हाल ही में अपनी भागीदारी से इनकार किया और दावा किया कि वह निर्दोष है।