Janmashtami 2024: बिना खीरे के अधूरी कृष्ण की पूजा, जानिए मां देवकी से जुड़े इस अनसुने रहस्य
जन्माष्टमी के पावन पर्व पर माखनचोर-नंद किशोर की पूजा की जाती है, और इस पूजा की थाली में खीरा रखना एक अनिवार्य परंपरा है। भगवान श्रीकृष्ण को माखन, मिश्री, पंचामृत, धनिया की पंजीरी, लड्डू, पेड़े आदि अर्पित किए जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि खीरे का क्या महत्व है?
मध्यरात्रि 12 बजे, जब रोहिणी नक्षत्र का संयोग होता है, तब खीरे को डंठल से अलग कर भगवान कृष्ण का जन्म कराया जाता है। धर्म पंडितों के अनुसार, खीरा मां देवकी से जुड़ा है, और जिस प्रकार जन्म के समय बच्चे को मां से अलग किया जाता है, ठीक उसी प्रकार खीरे से माखनचोर के अवतरण की परंपरा है। इसलिए, खीरे के बिना लड्डू गोपाल का जन्म अधूरा माना जाता है।
कैसे करें माखनचोर की पूजा?
- एक थाली में डंठल वाला खीरा रखें।
- आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें।
- सिक्के की मदद से खीरे को काटकर बाल गोपाल का जन्म कराएं।
- शंख बजाकर और करतल ध्वनि से भगवान कृष्ण के जन्म की खुशियां मनाएं।
- पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें और उन्हें वस्त्र अर्पित करें।
- पंचोपचार विधि से भगवान कृष्ण की पूजा करें और माखन-मिश्री, श्रीखंड, पंजीरी आदि अर्पित करें।
- अंत में आरती-अर्चना कर पूजा संपन्न करें और प्रसाद परिवार के सदस्यों के साथ बांटें।
जन्माष्टमी के इस खास पर्व पर इस अनोखी परंपरा को निभाते हुए भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाएं और अपने परिवार के साथ फलाहार करें।
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