प्रशांत किशोर का खेल: लालटेन में जल रहे हैं, और रोशनी का फोकस कहीं और
प्रशांत किशोर ने हाल ही में कहा कि पिछले 30 वर्षों में “MY समीकरण” को ही भाजपा को हराने का तरीका बताया गया, लेकिन आज वास्तविकता यह है कि यह समीकरण अब अस्तित्व में नहीं है। उन्होंने कहा कि जहां ‘Y’ खड़ा होता है, ‘M’ समर्थन करता है, लेकिन जहां ‘M’ खड़ा होता है, वहां ‘Y’ वोट नहीं करता। भाजपा को 36 प्रतिशत वोट मिला है, जबकि बिहार में 80 प्रतिशत हिंदू हैं, और उनमें से कई जातियों के लोग भाजपा को समर्थन दे रहे हैं। गांधीजी और अंबेडकर के अनुयायी भी भाजपा को समर्थन नहीं करते, और यही फॉर्मूला जनसुराज की नींव है।
‘मुसलमानों को सुधार की आवश्यकता’
प्रशांत किशोर ने कहा कि मुसलमानों को मजलिस में शामिल होने की आवश्यकता पर विचार करना चाहिए। उनके अनुसार, मुसलमानों को सबसे ज्यादा सलाह और सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज देश के कई मुसलमान अपने बच्चों को न्याय नहीं दे रहे और शिक्षा और चिकित्सा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने टिप्पणी की कि मुसलमान आज देश के सबसे अनपढ़ समुदायों में से एक बन गए हैं, जबकि उनके पूर्वजों ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
‘मैं वोट नहीं, आपकी दुआ चाहता हूँ’
प्रशांत किशोर ने कहा कि CAA और NRC जैसे कानून आपके खिलाफ बनाए गए हैं। इसलिए मजलिस बुलाई गई है ताकि मशवरे किए जा सकें। उन्होंने खुद को याद दिलाया कि वह वही पीके हैं जिन्होंने 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत में मदद की थी। 2015 से 2021 तक, बीजेपी के खिलाफ हर चुनावी हार में उनका कंधा था। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनसुराज कोई पार्टी नहीं है और न ही वह खुद कोई नेता बनना चाहते हैं। जनसुराज एक व्यवस्था है और वह वोट की बजाय लोगों की दुआ चाहते हैं। उनकी दुआ से बिहार में एक बेहतर व्यवस्था बनाई जाएगी, जो सिर्फ बिहार में ही नहीं रुकेगी।
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