मध्य पूर्व में बढ़ता संघर्ष
अर्चना सिंह
मध्य पूर्व में तनाव और संघर्ष की स्थिति बढ़ती जा रही है, विशेषकर इज़राइल और हिज़्बुल्लाह के बीच। 1 अक्टूबर 2024 को, इज़राइल ने दक्षिणी लेबनान में हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर “लक्षित ज़मीनी हमले” शुरू किए, जो कि गहन हवाई और तोपखाने की बमबारी के साथ थे। इज़राइल रक्षा बलों के अनुसार, ये हमले विशेष रूप से आतंकवादी लक्ष्यों पर आधारित थे और सीमा क्षेत्र में सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक थे।
इस संघर्ष ने लेबनान में तनाव को और बढ़ा दिया है, जहां सेना ने अपने ठिकानों को सीमावर्ती क्षेत्रों से पीछे हटाने का निर्णय लिया। इस स्थिति ने क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डाल दिया है, और निवासियों के बीच भय और चिंता का माहौल बना दिया है। स्थानीय लोगों के अनुसार, बमबारी से कई नागरिक प्रभावित हुए हैं, और कई लोग अपने घरों से भागने को मजबूर हुए हैं।
इस बीच, अमेरिका ने भी इस क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति को बढ़ाने का निर्णय लिया है। अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने संकेत दिया है कि वह ड्रोन युद्ध की तैयारियों के तहत मध्य पूर्व में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है। वर्तमान में, अमेरिका के लगभग 43,000 सैनिक इस क्षेत्र में तैनात होंगे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रति अमेरिका की गंभीरता बढ़ गई है।
विश्लेषकों का मानना है कि अगर ये संघर्ष जारी रहा, तो इससे न केवल क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ेगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसके व्यापक प्रभाव पड़ सकते हैं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सक्रिय रूप से आगे आना होगा।