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कौन हैं मां कूष्मांडा? क्यों करते हैं हम नवरात्रि के चौथे दिन उनकी पूजा?

नौ दिन का नवरात्रि का उत्सव मां दुर्गा और उनके नौ रूपों (नवदुर्गाओं) के सम्मान में मनाया जाता है, जिनमें मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी, और मां सिद्धिदात्री शामिल हैं। इस उत्सव के दौरान, हिंदू मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा करते हैं, उपवास रखते हैं, सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं, और देवी से आशीर्वाद की कामना करते हैं।

नवरात्रि का चौथा दिन: मां कूष्मांडा देवी

चौथे दिन भक्त मां कूष्मांडा की पूजा करते हैं। अगर आप और आपका परिवार इस पर्व को मना रहे हैं, तो मां कूष्मांडा के बारे में जानना महत्वपूर्ण है।

नवरात्रि का चौथा दिन: रंग

मां कूष्मांडा से जुड़े रंग की बात करें तो नारंगी रंग को गर्मजोशी और उत्साह का प्रतीक माना जाता है। वह उत्सव में सृजनात्मकता और सकारात्मकता का संचार करती हैं। कल का रंग नारंगी है।

मां कूष्मांडा देवी की विशेषताएँ

मां कूष्मांडा सिंह पर विराजमान होती हैं और उनके आठ हाथों में विभिन्न वस्तुएं होती हैं, जैसे कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, जप माला, गदा और चक्र। उन्हें लाल फूलों से पूजा जाता है, और ऐसा माना जाता है कि वह अपने भक्तों को समृद्धि, स्वास्थ्य, और शक्ति प्रदान करती हैं।

मां कूष्मांडा देवी का महत्व

मां कूष्मांडा का नाम तीन शब्दों से मिलकर बना है: ‘कु’ का अर्थ है छोटा, ‘उष्मा’ का अर्थ है गर्मी, और ‘अंड’ का अर्थ है ब्रह्मांडीय अंडा। हिंदू मान्यता के अनुसार, मां कूष्मांडा की एक मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी। उन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है क्योंकि उनके आठ हाथ होते हैं। उनमें सूर्य के भीतर निवास करने की शक्ति है और उनका शरीर सूर्य की तरह चमकता और दमकता है। मां कूष्मांडा सूर्य को ऊर्जा और मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। इसलिए, मां कूष्मांडा सूर्य देव की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं।

मां कूष्मांडा के लिए भोग

चूंकि मां कूष्मांडा को लाल फूल प्रिय हैं, इसलिए पूजा के दौरान इन्हें चढ़ाना चाहिए। पूजा की सजावट में सिंदूर, काजल, चूड़ियां, बिंदी, बिछिया, कंघी, आईना, और पायल जैसी वस्तुएं भी अर्पित की जाती हैं। भक्त विशेष भोग में मालपुआ, हलवा और दही चढ़ाते हैं।

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