देश के पहले इलेक्ट्रिक वॉरशिप पर निगाहें, समंदर में कई गुना बढ़ेगी नौसेना की ताकत
नई दिल्ली: भारत अपनी सैन्य क्षमता को आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल बनाने की दिशा में लगातार कदम बढ़ा रहा है। भारतीय नौसेना के लिए पहले इलेक्ट्रिक युद्धपोत (Electric Warship) की तैयारी तेजी से हो रही है। रोल्स-रॉयस कंपनी इस योजना में अहम भूमिका निभा रही है और भारतीय नौसेना के साथ मिलकर देश का पहला इलेक्ट्रिक युद्धपोत विकसित करने जा रही है।
रोल्स-रॉयस की तैयारी
रोल्स-रॉयस के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, इंडिया और साउथ ईस्ट एशिया- डिफेंस, अभिषेक सिंह ने बताया कि कंपनी भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण में मदद करने के लिए पूरी तरह तैयार है। उनके पास हाइब्रिड-इलेक्ट्रिक और फुल-इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम का अनुभव है, जो युद्धपोत को चलाने वाली बिजली प्रणाली को नियंत्रित करेगा।
इलेक्ट्रिक वॉरशिप से नौसेना को फायदा
रोल्स-रॉयस के पास सही उत्पाद, विशेषज्ञता और अनुभव है जो भारतीय नौसेना को आधुनिक बनाने में मदद करेगा। M30 इंजन पावर, घनत्व और विश्वसनीयता के मामले में नए मानक स्थापित कर चुका है और दुनियाभर में इसके कई इंजन उपयोग में हैं।
क्यों अहम है यह प्लान
रोल्स-रॉयस ने कहा कि यह योजना भारत को आधुनिक और आत्मनिर्भर रक्षा बल बनाने के सपने को पूरा करेगी। इसके अलावा, यूनाइटेड किंगडम का कैरीयर स्ट्राइक ग्रुप (CSG), जिसका नेतृत्व HMS प्रिंस ऑफ वेल्स कर रहा है, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी तैनाती के हिस्से के रूप में मुंबई पहुंचा है।
बिजली से चलने वाला युद्धपोत: बड़ा अपडेट
HMS प्रिंस ऑफ वेल्स जहाज में MT30 मरीन गैस टरबाइन से चलता है। यह इंटीग्रेटेड फुल इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन (IFEP) सिस्टम का दिल है। इसमें दो MT30 गैस टरबाइन अल्टरनेटर हैं, प्रत्येक 36 मेगावाट बिजली पैदा करता है। इसके साथ चार मीडियम-स्पीड डीजल जेनरेटर भी हैं। कुल मिलाकर यह सिस्टम 109 मेगावाट बिजली उत्पन्न करता है, जो एक छोटे शहर को रोशन करने के लिए पर्याप्त है।
इस इलेक्ट्रिक वॉरशिप के आने से भारतीय नौसेना की समंदर में ताकत कई गुना बढ़ जाएगी और यह पर्यावरण के लिहाज से भी अत्यंत आधुनिक कदम माना जा रहा है।
