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Navratri 2024: जानिए कौन हैं कात्यायनी देवी और कैसे करें उनकी पूँजा

नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा का विशेष महत्व है। उन्हें शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। देवी कात्यायनी महर्षि कात्यायन की पुत्री हैं और उनके नाम पर ही उन्हें यह नाम मिला है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि कात्यायन ने देवी की आराधना कर उन्हें पुत्री रूप में प्राप्त किया था। कात्यायनी देवी की पूजा करने से विवाह संबंधित बाधाओं का निवारण होता है और कुंवारी कन्याओं के लिए यह विशेष फलदायी मानी जाती है।

कात्यायनी देवी का स्वरूप

देवी कात्यायनी को चार भुजाओं में सुशोभित किया गया है। उनके एक हाथ में तलवार और दूसरे में कमल का फूल होता है। अन्य दो हाथों से वे आशीर्वाद और वरदान देने की मुद्रा में रहती हैं। देवी का वाहन सिंह है, जो उनकी शक्ति और अदम्य साहस का प्रतीक है।

पूँजा विधि

कात्यायनी देवी की पूजा में लाल फूल, अक्षत, हल्दी, कुमकुम, और नारियल का विशेष महत्व होता है।

भक्तों को देवी की प्रतिमा या चित्र के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए।

देवी को लाल रंग के वस्त्र और चूड़ियां अर्पित करना शुभ माना जाता है।

देवी की कथा सुनने के बाद आरती की जाती है और प्रसाद वितरण किया जाता है।

क्या है कात्यायनी देवी की महिमा?

देवी कात्यायनी की आराधना करने से भक्तों को स्वास्थ्य, सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि जिन लड़कियों का विवाह नहीं हो रहा, वे श्रद्धा से कात्यायनी देवी की उपासना करें तो उन्हें योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि के दौरान कात्यायनी देवी की पूजा क्यों करें?

विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए। निडर और साहसी जीवन जीने के लिए। मनोकामनाओं की पूर्ति और शत्रु पर विजय के लिए।

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